प्रेमा--मुंशी प्रेमचंद

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... अमृत—(गले से लगाकर) प्यारी पूर्णा, डरो मत। ईश्वर चाहेगा तो बैरी हमारा बाल भी बॉंका न करा सकें। कल जो बरात यहॉँ आयेगी वैसी आज तक इस शहर मे किसी ...

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